संधिआ वेले का हुक्मनामा – 25 अप्रैल 2025
अंग : 644 सलोकु मः ३ ॥* *सतिगुर की सेवा सफलु है जे को करे चितु लाइ ॥ मनि चिंदिआ फलु पावणा हउमै विचहु जाइ ॥ बंधन तोड़ै मुकति होइ सचे रहै समाइ ॥ इसु जग महि नामु अलभु है गुरमुखि वसै मनि आइ ॥ नानक जो गुरु सेवहि आपणा हउ तिन बलिहारै जाउ ॥१॥ […]
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अंग : 862 रागु गोंड महला ५ चउपदे घरु २ ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ जीअ प्रान कीए जिनि साजि ॥ माटी महि जोति रखी निवाजि ॥ बरतन कउ सभु किछु भोजन भोगाइ ॥ सो प्रभु तजि मूड़े कत जाइ ॥१॥ पारब्रहम की लागउ सेव ॥ गुर ते सुझै निरंजन देव ॥१॥ रहाउ ॥ जिनि कीए […]
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अंग : 674-675 धनासिरी महला ५ ॥ अब हरि राखनहारु चितारिआ ॥ पतित पुनीत कीए खिन भीतरि सगला रोगु बिदारिआ ॥१॥ रहाउ ॥ गोसटि भई साध कै संगमि काम क्रोधु लोभु मारिआ ॥ सिमरि सिमरि पूरन नाराइन संगी सगले तारिआ ॥१॥ अउखध मंत्र मूल मन एकै मनि बिस्वासु प्रभ धारिआ ॥ चरन रेन बांछै नित […]
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अंग : 641-642 सोरठि महला ५ घरु २ असटपदीआ ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ पाठु पड़िओ अरु बेदु बीचारिओ निवलि भुअंगम साधे ॥ पंच जना सिउ संगु न छुटकिओ अधिक अह्मबुधि बाधे ॥१॥ पिआरे इन बिधि मिलणु न जाई मै कीए करम अनेका ॥ हारि परिओ सुआमी कै दुआरै दीजै बुधि बिबेका ॥ रहाउ ॥ मोनि […]
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अंग : 683-684 धनासरी महला ५ घरु १२ ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ बंदना हरि बंदना गुण गावहु गोपाल राइ ॥ रहाउ ॥ वडै भागि भेटे गुरदेवा ॥ कोटि पराध मिटे हरि सेवा ॥१॥ चरन कमल जा का मनु रापै ॥ सोग अगनि तिसु जन न बिआपै ॥२॥ सागरु तरिआ साधू संगे ॥ निरभउ नामु जपहु […]
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अंग : 652-653 सलोकु मः ४ ॥ अंतरि अगिआनु भई मति मधिम सतिगुर की परतीति नाही ॥ अंदरि कपटु सभु कपटो करि जाणै कपटे खपहि खपाही ॥ सतिगुर का भाणा चिति न आवै आपणै सुआइ फिराही ॥ किरपा करे जे आपणी ता नानक सबदि समाही ॥१॥ मः ४ ॥ मनमुख माइआ मोहि विआपे दूजै भाइ […]
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अंग : 461 आसा महला ५ ॥* *दिनु राति कमाइअड़ो सो आइओ माथै ॥ जिसु पासि लुकाइदड़ो सो वेखी साथै ॥ संगि देखै करणहारा काइ पापु कमाईऐ ॥ सुक्रितु कीजै नामु लीजै नरकि मूलि न जाईऐ ॥ आठ पहर हरि नामु सिमरहु चलै तेरै साथे ॥ भजु साधसंगति सदा नानक मिटहि दोख कमाते ॥१॥ वलवंच […]
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अंग : 518 सलोक मः ५ ॥ साजन तेरे चरन की होइ रहा सद धूरि ॥ नानक सरणि तुहारीआ पेखउ सदा हजूरि ॥१॥ मः ५ ॥पतित पुनीत असंख होहि हरि चरणी मनु लाग ॥ अठसठि तीरथ नामु प्रभ जिसु नानक मसतकि भाग ॥२॥पउड़ी ॥ नित जपीऐ सासि गिरासि नाउ परवदिगार दा ॥ जिस नो करे […]
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अंग : 804 मात पिता सुत साथि न माइआ ॥ साधसंगि सभु दूखु मिटाइआ ॥१॥ रवि रहिआ प्रभु सभ महि आपे ॥ हरि जपु रसना दुखु न विआपे ॥१॥ रहाउ ॥ तिखा भूख बहु तपति विआपिआ ॥ सीतल भए हरि हरि जसु जापिआ ॥२॥ कोटि जतन संतोखु न पाइआ ॥ मनु त्रिपताना हरि गुण गाइआ […]
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रागु बिलावलु महला ५ घरु १३ पड़ताल ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ मोहन नीद न आवै हावै हार कजर बसत्र अभरन कीने ॥ उडीनी उडीनी उडीनी ॥ कब घरि आवै री ॥१॥ रहाउ ॥ सरनि सुहागनि चरन सीसु धरि ॥ लालनु मोहि मिलावहु ॥ कब घरि आवै री ॥१॥ सुनहु सहेरी मिलन बात कहउ सगरो अहं […]
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