अमृत वेले का हुक्मनामा – 10 दसंबर 2023
धनासरी छंत महला ४ घरु १ सतिੴ गुर प्रसादि ॥ हरि जीउ क्रिपा करे ता नामु धिआईऐ जीउ ॥ सतिगुरु मिलै सुभाइ सहजि गुण गाईऐ जीउ ॥ गुण गाइ विगसै सदा अनदिनु जा आपि साचे भावए ॥ अहंकारु हउमै तजै माइआ सहजि नामि समावए ॥ आपि करता करे सोई आपि देइ त पाईऐ ॥ हरि […]
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जैतसरी महला ४ घरु १ चउपदे ੴसतिगुर प्रसादि ॥ मेरै हीअरै रतनु नामु हरि बसिआ गुरि हाथु धरिओ मेरै माथा ॥ जनम जनम के किलबिख दुख उतरे गुरि नामु दीओ रिनु लाथा ॥१॥ मेरे मन भजु राम नामु सभि अरथा ॥ गुरि पूरै हरि नामु दि्रड़ाइआ बिनु नावै जीवनु बिरथा ॥ रहाउ ॥ बिनु गुर […]
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संधिआ वेले का हुक्मनामा – 23 जनवरी 2025
सलोकु मः ३ ॥ पूरबि लिखिआ कमावणा जि करतै आपि लिखिआसु ॥ मोह ठगउली पाईअनु विसरिआ गुणतासु ॥ मतु जाणहु जगु जीवदा दूजै भाइ मुइआसु ॥ जिनी गुरमुखि नामु न चेतिओ से बहणि न मिलनी पासि ॥ दुखु लागा बहु अति घणा पुतु कलतु न साथि कोई जासि ॥ लोका विचि मुहु काला होआ अंदरि […]
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आसा ॥ काहू दीन्हे पाट पट्मबर काहू पलघ निवारा ॥ काहू गरी गोदरी नाही काहू खान परारा ॥१॥ अहिरख वादु न कीजै रे मन ॥ सुक्रितु करि करि लीजै रे मन ॥१॥ रहाउ ॥ कुम्हारै एक जु माटी गूंधी बहु बिधि बानी लाई ॥ काहू महि मोती मुकताहल काहू बिआधि लगाई ॥२॥ (परमात्मा ने) कई […]
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सोरठि महला ५ ॥ गई बहोड़ु बंदी छोड़ु निरंकारु दुखदारी ॥ करमु न जाणा धरमु न जाणा लोभी माइआधारी ॥ नामु परिओ भगतु गोविंद का इह राखहु पैज तुमारी ॥१॥ हरि जीउ निमाणिआ तू माणु ॥ निचीजिआ चीज करे मेरा गोविंदु तेरी कुदरति कउ कुरबाणु ॥ रहाउ ॥ जैसा बालकु भाइ सुभाई लख अपराध कमावै […]
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सलोकु मः ३ ॥ सेखा चउचकिआ चउवाइआ एहु मनु इकतु घरि आणि ॥ एहड़ तेहड़ छडि तू गुर का सबदु पछाणु ॥ सतिगुर अगै ढहि पउ सभु किछु जाणै जाणु ॥ आसा मनसा जलाइ तू होइ रहु मिहमाणु ॥ सतिगुर कै भाणै भी चलहि ता दरगह पावहि माणु ॥ नानक जि नामु न चेतनी तिन […]
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धनासिरी महला ५ ॥ अब हरि राखनहारु चितारिआ ॥ पतित पुनीत कीए खिन भीतरि सगला रोगु बिदारिआ ॥१॥ रहाउ ॥ गोसटि भई साध कै संगमि काम क्रोधु लोभु मारिआ ॥ सिमरि सिमरि पूरन नाराइन संगी सगले तारिआ ॥१॥ अउखध मंत्र मूल मन एकै मनि बिस्वासु प्रभ धारिआ ॥ चरन रेन बांछै नित नानकु पुनह पुनह […]
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सोरठि महला ५ घरु २ दुपदे ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ सगल बनसपति महि बैसंतरु सगल दूध महि घीआ ॥ ऊच नीच महि जोति समाणी घटि घटि माधउ जीआ ॥१॥ संतहु घटि घटि रहिआ समाहिओ ॥ पूरन पूरि रहिओ सरब महि जलि थलि रमईआ आहिओ ॥१॥ रहाउ ॥ गुण निधान नानकु जसु गावै सतिगुरि भरमु चुकाइओ […]
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सोरठि महला १ घरु १ असटपदीआ चउतुकी ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ दुबिधा न पड़उ हरि बिनु होरु न पूजउ मड़ै मसाणि न जाई ॥ त्रिसना राचि न पर घरि जावा त्रिसना नामि बुझाई ॥ घर भीतरि घरु गुरू दिखाइआ सहजि रते मन भाई ॥ तू आपे दाना आपे बीना तू देवहि मति साई ॥१॥ मनु […]
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