संधिआ ​​वेले का हुक्मनामा – 27 दसंबर 2024

सलोकु मः ३ ॥ सतिगुर ते जो मुह फिरे से बधे दुख सहाहि ॥ फिरि फिरि मिलणु न पाइनी जमहि तै मरि जाहि ॥ सहसा रोगु न छोडई दुख ही महि दुख पाहि ॥ नानक नदरी बखसि लेहि सबदे मेलि मिलाहि ॥१॥ मः ३ ॥ जो सतिगुर ते मुह फिरे तिना ठउर न ठाउ ॥ […]

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संधिआ वेले का हुक्मनामा – 28 अक्टूबर 2024

धंना ॥ गोपाल तेरा आरता ॥ जो जन तुमरी भगति करंते तिन के काज सवारता ॥१॥ रहाउ ॥ दालि सीधा मागउ घीउ ॥ हमरा खुसी करै नित जीउ ॥ पन्हीआ छादनु नीका ॥ अनाजु मगउ सत सी का ॥१॥ गऊ भैस मगउ लावेरी ॥ इक ताजनि तुरी चंगेरी ॥ घर की गीहनि चंगी ॥ जनु […]

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संधिआ ​​वेले का हुक्मनामा – 04 अक्तूबर 2025

अंग : 694 पतित पावन माधउ बिरदु तेरा ॥ धंनि ते वै मुनि जन जिन धिआइओ हरि प्रभु मेरा ॥१॥ मेरै माथै लागी ले धूरि गोबिंद चरनन की ॥ सुरि नर मुनि जन तिनहू ते दूरि ॥१॥ रहाउ ॥ दीन का दइआलु माधौ गरब परहारी ॥ चरन सरन नामा बलि तिहारी ॥२॥५॥ अर्थ: हे माधो! […]

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संधिआ ​​वेले का हुक्मनामा – 06 अप्रैल 2025

ਅੰਗ : 682 धनासरी महला ५ ॥ अउखी घड़ी न देखण देई अपना बिरदु समाले ॥ हाथ देइ राखै अपने कउ सासि सासि प्रतिपाले ॥१॥ प्रभ सिउ लागि रहिओ मेरा चीतु ॥ आदि अंति प्रभु सदा सहाई धंनु हमारा मीतु ॥ रहाउ ॥ मनि बिलास भए साहिब के अचरज देखि बडाई ॥ हरि सिमरि सिमरि […]

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अमृत ​​वेले का हुक्मनामा – 22 अगस्त 2025

अंग : 680 धनासरी महला ५ ॥ जतन करै मानुख डहकावै ओहु अंतरजामी जानै ॥ पाप करे करि मूकरि पावै भेख करै निरबानै ॥१॥ जानत दूरि तुमहि प्रभ नेरि ॥ उत ताकै उत ते उत पेखै आवै लोभी फेरि ॥ रहाउ ॥ जब लगु तुटै नाही मन भरमा तब लगु मुकतु न कोई ॥ कहु […]

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अमृत ​​वेले का हुक्मनामा – 30 अक्टूबर 2024

सूही महला ३ ॥ जे लोड़हि वरु बालड़ीए ता गुर चरणी चितु लाए राम ॥ सदा होवहि सोहागणी हरि जीउ मरै न जाए राम ॥ हरि जीउ मरै न जाए गुर कै सहजि सुभाए सा धन कंत पिआरी ॥ सचि संजमि सदा है निरमल गुर कै सबदि सीगारी ॥ मेरा प्रभु साचा सद ही साचा […]

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संधिआ ​​वेले का हुक्मनामा – 22 अगस्त 2025

अंग : 679 धनासरी महला ५ ॥ जा कउ हरि रंगु लागो इसु जुग महि सो कहीअत है सूरा ॥ आतम जिणै सगल वसि ता कै जा का सतिगुरु पूरा ॥१॥ ठाकुरु गाईऐ आतम रंगि ॥ सरणी पावन नाम धिआवन सहजि समावन संगि ॥१॥ रहाउ ॥ जन के चरन वसहि मेरै हीअरै संगि पुनीता देही […]

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अमृत ​​वेले का हुक्मनामा – 15 मई 2024

बैराड़ी महला ४ ॥ हरि जनु राम नाम गुन गावै ॥ जे कोई निंद करे हरि जन की अपुना गुनु न गवावै ॥१॥ रहाउ ॥ जो किछु करे सु आपे सुआमी हरि आपे कार कमावै ॥ हरि आपे ही मति देवै सुआमी हरि आपे बोलि बुलावै ॥१॥ हरि आपे पंच ततु बिसथारा विचि धातू पंच […]

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अमृत ​​वेले का हुक्मनामा – 25 अक्तूबर 2025

अंग : 709 सलोक ॥ संत उधरण दइआलं आसरं गोपाल कीरतनह ॥ निरमलं संत संगेण ओट नानक परमेसुरह ॥१॥ चंदन चंदु न सरद रुति मूलि न मिटई घांम ॥ सीतलु थीवै नानका जपंदड़ो हरि नामु ॥२॥ पउड़ी ॥ चरन कमल की ओट उधरे सगल जन ॥ सुणि परतापु गोविंद निरभउ भए मन ॥ तोटि न […]

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अमृत ​​वेले का हुक्मनामा – 30 सितंबर 2025

अंग : 643 सलोकु मः ३ ॥ पूरबि लिखिआ कमावणा जि करतै आपि लिखिआसु ॥ मोह ठगउली पाईअनु विसरिआ गुणतासु ॥ मतु जाणहु जगु जीवदा दूजै भाइ मुइआसु ॥ जिनी गुरमुखि नामु न चेतिओ से बहणि न मिलनी पासि ॥ दुखु लागा बहु अति घणा पुतु कलतु न साथि कोई जासि ॥ लोका विचि मुहु […]

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