संधिआ वेले का हुक्मनामा – 7 नवंबर 2022
धनासरी महला ५ ॥ जिस कउ बिसरै प्रानपति दाता सोई गनहु अभागा ॥ चरन कमल जा का मनु रागिओ अमिअ सरोवर पागा ॥१॥ तेरा जनु राम नाम रंगि जागा ॥ आलसु छीजि गइआ सभु तन ते प्रीतम सिउ मनु लागा ॥ रहाउ ॥ जह जह पेखउ तह नाराइण सगल घटा महि तागा ॥ नाम उदकु […]
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धनासरी महला ५ ॥ जिस कउ बिसरै प्रानपति दाता सोई गनहु अभागा ॥ चरन कमल जा का मनु रागिओ अमिअ सरोवर पागा ॥१॥ तेरा जनु राम नाम रंगि जागा ॥ आलसु छीजि गइआ सभु तन ते प्रीतम सिउ मनु लागा ॥ रहाउ ॥ जह जह पेखउ तह नाराइण सगल घटा महि तागा ॥ नाम उदकु […]
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टोडी महला ५ ॥ सतिगुर आइओ सरणि तुहारी ॥ मिलै सूखु नामु हरि सोभा चिंता लाहि हमारी ॥१॥ रहाउ ॥ अवर न सूझै दूजी ठाहर हारि परिओ तउ दुआरी ॥ लेखा छोडि अलेखै छूटह हम निरगुन लेहु उबारी ॥१॥ सद बखसिंदु सदा मिहरवाना सभना देइ अधारी ॥ नानक दास संत पाछै परिओ राखि लेहु इह […]
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सोरठि महला ५ ॥ मात गरभ दुख सागरो पिआरे तह अपणा नामु जपाइआ ॥ बाहरि काढि बिखु पसरीआ पिआरे माइआ मोहु वधाइआ ॥ जिस नो कीतो करमु आपि पिआरे तिसु पूरा गुरू मिलाइआ ॥ सो आराधे सासि सासि पिआरे राम नाम लिव लाइआ ॥१॥ मनि तनि तेरी टेक है पिआरे मनि तनि तेरी टेक ॥ […]
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धनासरी महला ५ ॥ नामु गुरि दीओ है अपुनै जा कै मसतकि करमा ॥ नामु द्रिड़ावै नामु जपावै ता का जुग महि धरमा ॥१॥ जन कउ नामु वडाई सोभ ॥ नामो गति नामो पति जन की मानै जो जो होग ॥१॥ रहाउ ॥ नाम धनु जिसु जन कै पालै सोई पूरा साहा ॥ नामु बिउहारा […]
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धनासरी महला ४ ॥ मेरे साहा मै हरि दरसन सुखु होइ ॥ हमरी बेदनि तू जानता साहा अवरु किआ जानै कोइ ॥ रहाउ ॥ साचा साहिबु सचु तू मेरे साहा तेरा कीआ सचु सभु होइ ॥ झूठा किस कउ आखीऐ साहा दूजा नाही कोइ ॥१॥ सभना विचि तू वरतदा साहा सभि तुझहि धिआवहि दिनु राति […]
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सोरठि महला ५ ॥ मेरा सतिगुरु रखवाला होआ ॥ धारि क्रिपा प्रभ हाथ दे राखिआ हरि गोविदु नवा निरोआ ॥१॥ रहाउ ॥ तापु गइआ प्रभि आपि मिटाइआ जन की लाज रखाई ॥ साधसंगति ते सभ फल पाए सतिगुर कै बलि जांई ॥१॥ हलतु पलतु प्रभ दोवै सवारे हमरा गुणु अवगुणु न बीचारिआ ॥ अटल बचनु […]
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*सलोक ॥* *राज कपटं रूप कपटं धन कपटं कुल गरबतह ॥ संचंति बिखिआ छलं छिद्रं नानक बिनु हरि संगि न चालते ॥१॥* हे नानक जी! यह राज रूप धन और (ऊँची) कुल का अभिमान-सब छल-रूप है। जीव छल कर के दूसरों पर दोष लगा लगा कर (कई तरीकों से) माया जोड़ते हैं, परन्तु प्रभू के […]
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सलोकु मः ३ सतिगुर की सेवा सफलु है जे को करे चितु लाइ ॥ मनि चिंदिआ फलु पावणा हउमै विचहु जाइ ॥ बंधन तोड़ै मुकति होइ सचे रहै समाइ ॥ इसु जग महि नामु अलभु है गुरमुखि वसै मनि आइ ॥ नानक जो गुरु सेवहि आपणा हउ तिन बलिहारै जाउ ॥१॥ मः ३ ॥ मनमुख […]
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सलोक मः ३ ॥ दरवेसी को जाणसी विरला को दरवेसु ॥ जे घरि घरि हंढै मंगदा धिगु जीवणु धिगु वेसु ॥ जे आसा अंदेसा तजि रहै गुरमुखि भिखिआ नाउ ॥ तिस के चरन पखालीअहि नानक हउ बलिहारै जाउ ॥१॥ मः ३ ॥ नानक तरवरु एकु फलु दुइ पंखेरू आहि ॥ आवत जात न दीसही ना […]
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