संधिआ ​​वेले का हुक्मनामा – 29 मार्च 2025

ਅੰਗ : 665 धनासरी महला ३ ॥ जो हरि सेवहि तिन बलि जाउ ॥ तिन हिरदै साचु सचा मुखि नाउ ॥ साचो साचु समालिहु दुखु जाइ ॥ साचै सबदि वसै मनि आइ ॥१॥ गुरबाणी सुणि मैलु गवाए ॥ सहजे हरि नामु मंनि वसाए ॥१॥ रहाउ ॥ कूड़ु* *कुसतु त्रिसना अगनि बुझाए ॥ अंतरि सांति सहजि […]

No Comments

अमृत ​​वेले का हुक्मनामा – 29 अप्रैल 2024

सलोकु मः ३ ॥ पूरबि लिखिआ कमावणा जि करतै आपि लिखिआसु ॥ मोह ठगउली पाईअनु विसरिआ गुणतासु ॥ मतु जाणहु जगु जीवदा दूजै भाइ मुइआसु ॥ जिनी गुरमुखि नामु न चेतिओ से बहणि न मिलनी पासि ॥ दुखु लागा बहु अति घणा पुतु कलतु न साथि कोई जासि ॥ लोका विचि मुहु काला होआ अंदरि […]

No Comments

अमृत ​​वेले का हुक्मनामा – 04 अगस्त 2025

अंग : 584 वडहंसु महला ३ ॥ इहु सरीरु जजरी है इस नो जरु पहुचै आए ॥ गुरि राखे से उबरे होरु मरि जमै आवै जाए ॥ होरि मरि जमहि आवहि जावहि अंति गए पछुतावहि बिनु नावै सुखु न होई ॥ ऐथै कमावै सो फलु पावै मनमुखि है पति खोई ॥ जम पुरि घोर अंधारु […]

No Comments

अमृत ​​वेले का हुक्मनामा – 03 अगस्त 2025

अंग : 753 रागु सूही महला ३ घरु १ असटपदीआ ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ नामै ही ते सभु किछु होआ बिनु सतिगुर नामु न जापै ॥ गुर का सबदु महा रसु मीठा बिनु चाखे सादु न जापै ॥ कउडी बदलै जनमु गवाइआ चीनसि नाही आपै ॥ गुरमुखि होवै ता एको जाणै हउमै दुखु न संतापै […]

No Comments

अमृत ​​वेले का हुक्मनामा – 07 जून 2025

अंग : 719 टोडी बाणी भगतां की ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ कोई बोलै निरवा कोई बोलै दूरि ॥ जल की माछुली चरै खजूरि ॥१॥ कांइ रे बकबादु लाइओ ॥ जिनि हरि पाइओ तिनहि छपाइओ ॥१॥ रहाउ ॥ पंडितु होइ कै बेदु बखानै ॥ मूरखु नामदेउ रामहि जानै ॥२॥१॥ अर्थ: कोई मनुख कहता है (परमात्मा हमारे […]

No Comments

अमृत ​​वेले का हुक्मनामा – 25 फरवरी 2025

धनासरी महला १ घरु २ असटपदीआ ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ गुरु सागरु रतनी भरपूरे ॥ अम्रितु संत चुगहि नही दूरे ॥ हरि रसु चोग चुगहि प्रभ भावै ॥ सरवर महि हंसु प्रानपति पावै ॥१॥ किआ बगु बपुड़ा छपड़ी नाइ ॥ कीचड़ि डूबै मैलु न जाइ ॥१॥ रहाउ ॥ रखि रखि चरन धरे वीचारी ॥ दुबिधा […]

No Comments

संधिआ वेले का हुक्मनामा – 25 अप्रैल 2024

धनासरी महला ५ ॥ मेरा लागो राम सिउ हेतु ॥ सतिगुरु मेरा सदा सहाई जिनि दुख का काटिआ केतु ॥१॥ रहाउ ॥ हाथ देइ राखिओ अपुना करि बिरथा सगल मिटाई ॥ निंदक के मुख काले कीने जन का आपि सहाई ॥१॥ साचा साहिबु होआ रखवाला राखि लीए कंठि लाइ ॥ निरभउ भए सदा सुख माणे […]

No Comments

संधिआ वेले का हुक्मनामा – 25 मार्च 2024

रागु सोरठि बानी भगत रविदास जी की ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ दुलभ जनमु पुंन फल पाइओ बिरथा जात अबिबेकै ॥ राजे इंद्र समसरि ग्रिह आसन बिनु हरि भगति कहहु किह लेखै ॥१॥ न बीचारिओ राजा राम को रसु ॥ जिह रस अन रस बीसरि जाही ॥१॥ रहाउ ॥ जानि अजान भए हम बावर सोच असोच […]

No Comments

अमृत ​​वेले का हुक्मनामा – 9 मार्च 2024

धनासरी महला ५ ॥ वडे वडे राजन अरु भूमन ता की त्रिसन न बूझी ॥ लपटि रहे माइआ रंग माते लोचन कछू न सूझी ॥१॥ बिखिआ महि किन ही त्रिपति न पाई ॥ जिउ पावकु ईधनि नही ध्रापै बिनु हरि कहा अघाई ॥ रहाउ ॥ दिनु दिनु करत भोजन बहु बिंजन ता की मिटै न […]

No Comments

संधिआ ​​वेले का हुक्मनामा – 27 जुलाई 2025

अंग : 684 धनासरी महला ५ ॥ त्रिपति भई सचु भोजनु खाइआ ॥ मनि तनि रसना नामु धिआइआ ॥१॥ जीवना हरि जीवना ॥ जीवनु हरि जपि साधसंगि ॥१॥ रहाउ ॥ अनिक प्रकारी बसत्र ओढाए ॥ अनदिनु कीरतनु हरि गुन गाए ॥२॥ हसती रथ असु असवारी ॥ हरि का मारगु रिदै निहारी ॥३॥ मन तन अंतरि […]

No Comments

Begin typing your search term above and press enter to search. Press ESC to cancel.

Back To Top