अमृत ​​वेले का हुक्मनामा – 26 दसंबर 2023

रागु बिलावलु महला ५ घरु २ यानड़ीए कै घरि गावणा ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ मै मनि तेरी टेक मेरे पिआरे मै मनि तेरी टेक ॥ अवर सिआणपा बिरथीआ पिआरे राखन कउ तुम एक ॥१॥ रहाउ ॥ सतिगुरु पूरा जे मिलै पिआरे सो जनु होत निहाला ॥ गुर की सेवा सो करे पिआरे जिस नो होइ दइआला ॥ सफल मूरति गुरदेउ सुआमी सरब कला भरपूरे ॥ नानक गुरु पारब्रहमु परमेसरु सदा सदा हजूरे ॥१॥

राग बिलावालु, घर २ में गुरु अर्जनदेव जी की बाणी; इस शब्द को यानड़ीए की सुर में गाया जाए (जिस की पहली तुक है’इयानड़ीए मानड़ा काइ करेहि’)। अकाल पुरख एक है और सतगुरु की कृपा द्वारा मिलता है। हे प्यारे प्रभु! मेरे मान में (एक) तेरा ही सहारा है, तेरा ही सहारा है। हे प्यारे प्रभु! सिर्फ तुं ही (हम जीवों की) रक्षा करने में समर्थ है। इसके एल्व और और चतुराइयां (सोचना) किसी भी काम नहीं॥१॥रहाउ॥ हे भाई! जिस मनुख को पूरा गुरु मिल जाए, वह सदा खिड़ा रहता है। पर, हे भाई! वो ही मनुख गुरु की सरन पड़ता है, जिस ऊपर (प्रभु आप दयावान होता है। हे भाई! गुरु स्वामी मनुख जन्म का महोरथ पूरा करने में समर्थ है (क्योंकि) वह सारी ताकतों का मालिक है। हे नानक! गुरु परमात्मा का रूप है। (अपने सेवकों के) सदा ही अंग संग रहता है॥१॥


Related Posts

One thought on “अमृत ​​वेले का हुक्मनामा – 18 फरवरी 2023

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Begin typing your search term above and press enter to search. Press ESC to cancel.

Back To Top