अमृत ​​वेले का हुक्मनामा – 19 जून 2025

अंग : 609
सोरठि महला ५ ॥ गुरु पूरा भेटिओ वडभागी मनहि भइआ परगासा ॥ कोइ न पहुचनहारा दूजा अपुने साहिब का भरवासा ॥१॥ अपुने सतिगुर कै बलिहारै ॥ आगै सुखु पाछै सुख सहजा घरि आनंदु हमारै ॥ रहाउ ॥ अंतरजामी करणैहारा सोई खसमु हमारा ॥ निरभउ भए गुर चरणी लागे इक राम नाम आधारा ॥२॥ सफल दरसनु अकाल मूरति प्रभु है भी होवनहारा ॥ कंठि लगाइ अपुने जन राखे अपुनी प्रीति पिआरा ॥३॥ वडी वडिआई अचरज सोभा कारजु आइआ रासे ॥ नानक कउ गुरु पूरा भेटिओ सगले दूख बिनासे ॥४॥५॥
अर्थ: हे भाई! बड़ी किस्मत से मुझे पूरा गुरु मिल गया है, मेरे मन में आत्मिक जीवन की सूझ पैदा हो गयी है। अब मुझे अपने मालिक का सहारा हो गया है, कोई उस मालिक की बराबरी नहीं कर सकता।1। हे भाई! में अपने गुरु से कुर्बान जाता हूँ, (गुरु की कृपा से) मेरे हिर्दय-घर में आनंद बना रहता है, इस लोक में भी आत्मिक अडोलता का सुख मुझे प्राप्त हो गया है, और, परलोक में भी यह सुख सथिर रहने वाला है।रहाउ। हे भाई! जब से में गुरु की शरण आया हूँ, मुझे परमात्मा के नाम का सहारा हो गया है, कोई भय अब मुझे छु नहीं सकता (मुझे निश्चय हो गया है की जो) सिरजनहार सब के दिल की जानने वाला है वो ही मेरे सिर ऊपर रखवाला है।2। (हे भाई! गुरु की कृपा से मुझे विश्वास हो गया है कि) जिस परमात्मा का दर्शन मानव जनम को फल देने वाला है, जिस परमात्मा की हस्ती मौत से रहित है, वह उस वक्त भी (मेरे सर पर) मौजूद है, और, सदा कायम रहने वाला है। वह प्रभु अपनी प्रीति की अपने प्यार की दाति दे के अपने सेवकों को अपने गले से लगा लेता है।3। हे भाई! मुझे नानक को पूरा गुरु मिल गया है, मेरे सारे दुख दूर हो गए हैं। वह गुरु बड़ी महिमावाला है, आश्चर्य शोभा वाला है, उसकी शरण पड़ने से जिंदगी का उद्देश्य प्राप्त हो जाता है।4।5।


Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Begin typing your search term above and press enter to search. Press ESC to cancel.

Back To Top